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मार्च 20, 2024 31 0 Neal Lozano

आप आज़ादी पा सकते हैं!

हम सभी परमेश्वर की वे संतान हैं जिन्हें येशु मसीह के क्रूस पर महान बलिदान द्वारा स्वतंत्रता प्राप्त हुई है । फिर भी, हम प्रयास करते हैं, असफल होते हैं, निराश होते हैं, और हिम्मत हार जाते हैं। क्या इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता है? 

नील लोज़ानो 50 से अधिक वर्षों से कलीसिया में सेवा देते आ रहे हैं। वे अपने विभिन्न अनुभवों के साथ,  लोगों को मसीह के मुक्तिदायी रहस्य को जानने में मदद कर रहे हैं। उन्होंने अपनी डगमगाती युवावस्था में अपना विश्वास खो दिया था, उस अवस्था से अपने वयस्क अवस्था तक जब उन्होंने मसीह में सच्ची स्वतंत्रता पाई, अब उस अद्भुत यात्रा को वे यहाँ साझा करते हैं। वर्तमान में, वे दुनिया के सबसे प्रखर सुसमाचार प्रचारकों और दुष्टात्मा से विमोचन के सेवकों में से एक हैं। उनका ‘हार्ट ऑफ द फादर’ सेवकाई और विमोचन का मॉडल ‘अनबाउंड’ की सेवकाई कई लोगों के जीवन को बदल रही है और प्रत्येक व्यक्ति को परमेश्वर की संतान के रूप में सच्ची स्वतंत्रता का अनुभव करने के लिए अग्रसर कर रही है।

नील के साथ हमारी सहयोगी संपादक, रेशमा थॉमस की बातचीत के अंश यहाँ प्रस्तुत है।

आपके जीवन और सेवकाई का मुख्य लक्ष्य लोगों को ‘पिता परमेश्वर के हृदय’ की खोज में मदद करना है। क्या  मैं मान सकती हूँ कि आपके पास भी उस गहरे प्रेम की खोज की यात्रा का गहन अनुभव है?

मेरी प्रारंभिक कहानी सामान्य है। मैं एक कैथलिक परिवार में पैदा हुआ था और किशोरावस्था में भटक गया था। फिर, 21 वर्ष की उम्र में मैंने अपने पिता को खो दिया और परमेश्वर पर सवाल उठाने लगा। किन्तु परमेश्वर मुझे कई तरीकों से और विभिन्न लोगों के द्वारा अपने पास वापस बुला रहा था, लेकिन मेरी जीवन रूपी कश्ती तब तक डावांडोल होती रही, जब तक कि मैंने पूरी तरह टूटने के बाद महसूस किया कि परमेश्वर ही चिरस्थायी आनंद और शांति का सच्चा स्रोत है। लेकिन यह मेरी नयी यात्रा की केवल शुरुआत थी।

जब मैंने ईश्वर के महान प्रेम की वास्तविकता को जान लिया, तो मुझे यह महसूस होने लगा कि मुझे इसे और लोगों तक पहुंचाने की आवश्यकता है। इसलिए मैं कई वर्षों तक सुसमाचार के प्रचार-प्रसार और चंगाई की सेवकाई में शामिल रहा। हालांकि मैं दूसरों की सेवा कर रहा था, मैंने पाया कि पिता परमेश्वर को मैंने अभी भी नहीं जाना था । मैं जब-जब यात्रा करता तब-तब मैं यह पाता कि मेरे नश्वर हृदय से उस अनश्वर परमेश्वर को जानने की एक पुकार सहज ही उठती थी ।

मेरे विश्वास की यात्रा शुरू करने के तीस साल बाद, जब मैं एक सम्मेलन में भाग ले रहा था, तब प्रभु के एक सेवक ने मुझ पर विमोचन की प्रार्थना की, और मैंने परमेश्वर की उपस्थिति का एक बहुत ही शक्तिशाली और गहरा अनुभव किया। जो बात मुझे आश्चर्यचकित करती थी वह यह थी कि परमेश्वर ने मुझे कितनी कोमलता से मुक्त किया है। मैंने इस कोमल अनुभव को उन लोगों तक पहुंचाना शुरू किया जिनके बीच में मैं सेवा करता था। 1997 में, पोलैंड में एक सप्ताह के लंबे सम्मेलन के बाद, लोगों के दिलों में सुसमाचार की परिवर्तनीय शक्ति कितनी गहराई तक पहुँच जाती है, इस सत्य को मैंने महसूस किया। जिस कोमलता को मैंने अपने विमोचन में अनुभव किया था, उसे हमने धीरे-धीरे ‘अबाध’ (अनबाउंड) सेवकाई के रूप में उन लोगों तक ले जाना शुरू किया जिनके अन्दर पिता परमेश्वर के प्रेम की प्यास थी। हाँ, यह पिता के हृदय की खोज और उसे अधिक लोगों तक साझा करने की लम्बी यात्रा रही है ।

‘विमोचन’ शब्द को अधिकांश लोकधर्मी संदेह के साथ सुनते हैं। क्या आप अपनी सेवकाई के संदर्भ में इस शब्द की व्याख्या कर सकते हैं?

वास्तव में, विमोचन मसीह जीवन का एक सामान्य हिस्सा है जिसे हम अपनी आध्यात्मिक यात्रा में आगे बढ़ते हुए अनुभव करते हैं। लेकिन कुछ लोग इसका गलत अर्थ निकालते हैं। यह शब्द अक्सर उन्हें कुछ डरावना जैसा लगता है। वास्तव में यह मुक्ति केलिए दूसरा शब्द है। शैतान पहले हमें यह विश्वास दिलाता है कि वह मौजूद नहीं है, उस कार्य में यदि वह असफल हो जाता है तो वह हमें यह विश्वास दिलाना चाहता है कि वह अधिक शक्तिशाली है। डर एक तरीका है जिससे वह हमारे जीवन में कदम रखता है।

विमोचन या मुक्ति की सेवकाई हमें इस बात से रूबरू कराती है कि शैतान वाकई में है। विमोचन की सेवकाई हमें यह महसूस कराती है कि हमारी इच्छा को दूर करने के लिए शैतान के पास पर्याप्त शक्ति नहीं है, यह सेवकाई उन दरवाजों की पहचान करना सिखाती है जिनके माध्यम से हमने शैतान को प्रवेश करने की अनुमति दी है, और उन्हें येशु के नाम पर बंद करना भी सिखाती है। ‘अबाध’ सेवकाई यही करने की कोशिश करती है— दुखद अनुभवों के प्रति हमारी पिछली प्रतिक्रियाओं ने हमारे दिलों में जो दरवाजे खोले हैं, उन्हें बंद करने और येशु के पुनरुत्थान की शक्ति के साथ बुरी आत्माओं को हमारे जीवन से बाहर निकालने का कार्य अबाध सेवकाई करती है।

‘अनबाउंड’ किताब को 21 भाषाओं में अनूदित किया गया है और मसीह द्वारा अपना रक्त देकर खरीदी गई स्वतंत्रता का दावा करने में कई लोगों को यह किताब मदद कर रही है। जो लोग इसे अभी तक नहीं पढ़ पाए हैं, उन केलिए कृपया संक्षेप में साझा करें कि कैसे कोई आज़ादी पा सकता है?

‘अनबाउंड’ मुख्यतः पाँच बिन्दुओं पर केंद्रित है जो आपको सच्ची स्वतंत्रता में जीने में मदद करेंगी –

1.पश्चाताप और विश्वास 

पहला कदम येशु को हमारे उद्धारकर्ता के रूप में पहचानने और उस पर निर्भरता की गहरी समझ रखने का है। खुद को समर्पित करना और ईमानदारी से अपने पापों का नाम लेकर पाप स्वीकार करना होगा, क्योंकि परमेश्वर ही अनुग्रह को हमारे जीवन में प्रवेश करने का दरवाजा खोलता है।

2.क्षमा

हम सब को कभी न कभी किसी न किसी रूप में चोट पहुँची है, और हम में से अधिकांश को क्षमा करने की आवश्यकता का एहसास है। लेकिन लोग अक्सर शब्दों को जोर से नहीं बोलते, इसलिए हम उन्हें जोर से कहने के लिए प्रेरित करते हैं, विशेष रूप से: “मेरे पिता को शराब पीने के लिए मैं उन्हें क्षमा करता हूँ… उन सभी समयों के लिए जब उन्होंने मेरी माँ पर चिल्लाया और मुझे बहुत डराया, येशु के नाम पर, मैं क्षमा करता हूँ।”

3.बुराई का त्याग

अगर दिल के पाप, जैसे अहंकार, वासना, अकेलापन, आत्म-घृणा, आत्म-त्याग, या अयोग्यता हमारे जीवन में पैठ बना चुके हैं, तो वे हमारे सोचने के तरीके का हिस्सा बन सकते हैं। त्याग करने का मतलब है इन झूठों से नाता तोड़ना जो शैतान ने आप में बोए हैं। “येशु के नाम पर, मैं अहंकार, आत्म-घृणा, वासना का त्याग करता हूँ…”

4.आदेश या अधिकार का शब्द 

यह वह समय है जब एक व्यक्ति शत्रुओं के खिलाफ परमेश्वर की संतान के रूप में खड़ा होता है। एक बार जब हमने पश्चाताप कर लिया, क्षमा कर दिया, और पापों को छोड़ दिया, तब शत्रु को दूर जाना पड़ता है। इसलिए, हम विशेष रूप से छोड़ी गयी बातों को आदेश देते हैं; उदाहरण के लिए—”मैं आदेश देता हूँ कि जिस किसी भी आत्मा को हमने त्याग दिया है, वह येशु के नाम पर हमसे निकल जाए।”

5.पिता का आशीर्वाद 

येशु अपने पिता को प्रकट करने के लिए आए थे। जैसा कि मैंने उल्लेख किया, यह मेरा अनुभव है कि इतने सारे लोगों ने उद्धारकर्ता को पाया है और प्रभु का अनुसरण किया है, लेकिन उन्होंने व्यक्तिगत रूप से पिता को नहीं जाना है। इसलिए, हम उन्हें पिता के प्रेममय और दयालु हृदय तक पहुंचाने की कोशिश करते हैं ताकि वे परमेश्वर की संतान के रूप में स्वतंत्रता का अनुभव कर सकें।

कई लोग वास्तव में अपने दैनिक आत्म-परीक्षण में इन कुंजियों का उपयोग करते हैं। जब कभी मैं विदेश में किसी सम्मेलन के बाद थका हुआ महसूस करता था, तो मेरी पत्नी अक्सर मुझसे आग्रह करती थी कि मैं बैठकर इन पाँच बिंदूओं पर चिंतन करूं। पश्चाताप करने, क्षमा करने, त्याग करने, परमेश्वर की संतान के रूप में अधिकार लेने, और पिता के हृदय की ओर लौटने के लिए ।

मुझे लगता है कि अनबाउंड सेवकाई का असली उपहार यह है कि लोग अपनी आत्माओं को और खुद को जान पाते हैं। वे उन सभी नकारात्मक भावनाओं के लिए शब्द प्राप्त करते हैं जो शत्रु के लिए  दरवाजा बन सकता है और वे महसूस करते हैं कि वे इन दरवाजों को बंद करने और परमेश्वर की संतान के रूप में अपनी पहचान पुनः प्राप्त करने का अधिकार रखते हैं।

एक कारण जो लोगों को परमेश्वर से दूर रखता है वह है अनुत्तरित प्रार्थनाएँ। आप किसी ऐसे व्यक्ति से क्या कहेंगे जो परमेश्वर के प्रति कड़वाहट और नाराजगी का अनुभव कर रहा है?

मुझे नहीं लगता है कि कोई भी प्रार्थना वास्तव में अनुत्तरित रह जाती है। प्रार्थना ईश्वर के साथ हमारे रिश्ते की अभिव्यक्ति है। जब ईश्वर हमें वह नहीं देता जो हम अपनी समय-सारिणी के अनुसार उससे  मांगते हैं, तो उसके साथ हमारे रिश्ते की परीक्षा होती है। फिर भी, हम बाइबल में पढ़ते हैं कि हमें प्रार्थना में दृढ़ रहना चाहिए और प्रार्थना करते रहना चाहिए। जब ऐसा लगता है कि वह हमें कुछ नहीं देने वाला है, तो लगातार माँगते रहना कैसे समझ में आता है?

जैसे-जैसे हम प्रार्थना में दृढ़ रहते हैं, हम उसके साथ अपने रिश्ते में गहराई से उतर जाते हैं। उसके साथ हमारे रिश्ते में जितनी गहराई होती है, हमारी प्रार्थनाएँ उतनी ही बदलती जाती हैं। आप अभी भी कह सकते हैं: “कृपया मेरे बच्चे को ठीक कर दें”, लेकिन साथ ही, आप यह भी कह सकते हैं: “प्रभु, मैं बस आपसे प्यार करना चाहता हूँ। मैं आप पर भरोसा करना चाहता हूँ, चाहे कुछ भी हो जाए।” हम सभी अपनी-अपनी आध्यात्मिक लड़ाइयों से गुज़र रहे हैं। हमें इस बात से अवगत होना चाहिए कि दुश्मन किस बारे में झूठ बोल रहा है और वह हमें किस बात पर विश्वास दिलाना चाहता है। हम निराशा, हताशा और निरु्त्साह के विचारों को मन में रख सकते हैं, या हमें यह भी लग सकता है कि ईश्वर हमें भूल गया है और उसे हमारी कोई परवाह नहीं है। ये झूठ सच्चाई से बिल्कुल भी मेल नहीं खाते। स्वयं को सत्य की याद दिलाना, सत्य की घोषणा करना, और पवित्र बाइबल को थामे रहना ही वह चीज है जो निश्चित रूप से परमेश्वर पर हमारे भरोसे को कमजोर करने वाले शत्रु की योजना को विफल कर देगी। 

हम अपनी पत्रिका के माध्यम से 900 से अधिक जेलों तक पहुँचते हैं। आप मसीह में अनुभव की जाने वाली स्वतंत्रता के बारे में उन बंदियों को  क्या बताएँगे?

आप ने यह प्रश्न एक दिलचस्प समय पर पूछा है… क्योंकि अभी पिछले सप्ताह ही, हमने अधिकतम सुरक्षा वाली जेल में कुछ दिन बिताए हैं। जब हम कैदियों को अबाध सेवकाई की पाँच चाबियों के माध्यम से ले जा रहे थे, तो मुझे याद है कि उन कैदियों में से एक कैदी ने साझा किया था कि उसे अपनी पहचान वापस मिल गई है। एक कैदी ऐसा भी था जिसने विमोचन की प्रार्थना प्राप्त करने के बाद दीवारों की ओर देखा और कहा: “मैं बाहर की तुलना में कहीं अधिक स्वतंत्र हूँ।”

इसलिए, मैं सलाखों के पीछे के अपने दोस्तों से कहना चाहता हूँ: “ईश्वर आपसे दूर नहीं है। आप उनसे नए सिरे से मिल सकते हैं और उसमें अपनी असली पहचान पा सकते हैं। आप उन झूठों से मुक्त हो सकते हैं जिन्होंने आपके द्वारा किए गए किसी भी अपराध की नींव रखी थी, और आप स्वतंत्र हो सकते हैं। और, सबसे महत्वपूर्ण बात, आप उनके पुत्र के माध्यम से स्वर्गीय पिता को जान सकते हैं। वह आपकी ज़रूरत के हर क्षेत्र को छू सकता है। वह आपके दिल की बात सुन सकता है, चाहे आप कहीं भी हों।” 

Neal Lozano

Neal Lozano currently serves as the Executive Director of Heart of the Father Ministries. He lives with his wife Janet outside of Philadelphia and enjoys spending time with his 14 grandchildren. Find out more at heartofthefather.com

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